ग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस
के साथ हुए रफ़ाल सौदे को एक घोटाला बताया है. रक्षा मंत्री निर्मला
सीतारमन ने संसद में दिए अपने बयान में कहा था कि इस समझौते का ब्यौरा नहीं दिया जा सकता क्योंकि ये 'गोपनीय जानकारी' है.
इस पर राहुल गांधी का कहना है कि 'एक क़ारोबारी' को लाभ पहुंचाने की मंशा से सौदे को बदलने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद पेरिस गए थे.
'रफ़ाल सौदे में ग़ायब है मेक इन इंडिया'
समाचार एजेंसी एएनआई ने राहुल गांधी के हवाले से ख़बर दी है, ''रक्षा मंत्री का कहना है कि हम राफ़ाल विमान खरीदने के लिए भुगतान की गई राशि नहीं बताएंगे, इसका क्या मतलब है? इसका यही मतलब है कि ये एक घोटाला है. सौदे को बदलने के लिए मोदीजी खुद पेरिस गए थे. पूरा देश इस बारे में जानता है.''
समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने जानना चाहा था कि सरकार रफ़ाल सौदे का ब्यौरा क्यों नहीं दे रही, जिसके बारे में कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने जो सौदा किया था, उसकी राशि कम थी जबकि एनडीए सरकार ने उसी सौदे के लिए अधिक राशि का भुगतान किया.
समाचार एजेंसियों के मुताबिक, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन का कहना है, ''रफ़ाल विमान की ख़रीद के लिए भारत और फ्रांस की सरकार के बीच जो समझौता हुआ है, उसके आर्टिकल 10 के मुताबिक सौदे की जानकारी गोपनीय रखी जाएगी.''
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने इस पूरे घटनाक्रम पर एक ट्वीट के ज़रिए कहा है कि सरकार इस 'गोपनीय क्लॉज़' से अपने लिए और भारतीय वायुसेना के लिए गढ्ढा खोद रही है. किसी और सरकार ने ऐसा कहा होता और बीजेपी विपक्ष में होती तो सोचिए क्या होता.
शेखर गुप्ता के इस ट्वीट के जबाव में किए गए ट्वीट में कहा गया है कि बीजेपी यदि विपक्ष में होती तो संसद का पूरा सत्र इस मामले की भेंट चढ़ जाता...शायद इसीलिए कहा जाता है कि कांग्रेस के लिए सत्ता और बीजेपी के लिए विपक्ष की भूमिका बेहतर है.फ़ाल विमानों की ख़रीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच पिछले साल सितंबर में समझौता हुआ था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ दोनों के बीच ये समझौता 36 जंगी विमानों के लिए हुआ है. पहले 18 विमानों का सौदा हुआ था लेकिन अब भारत फ्रांस से 36 विमान खरीद रहा है.
जब लड़ाकू विमानों की ख़रीदारी के लिए टेंडर निकाला गया था, तब मुक़ाबले में कुल छह कंपनियों के विमान थे. पर एयरफोर्स ने रफ़ाल को सबसे बेहतर पाया.
विमान की ख़रीद की प्रक्रिया यूपीए सरकार ने साल 2010 में शुरू की थी. साल 2012 से लेकर साल 2015 तक इसे लेकर बातचीत चलती रही.
रक्षा मामलों के जानकार राहुल बेदी का कहना है, ''जब 126 विमानों की बात चल रही थी, उस वक़्त ये सौदा हुआ था कि 18 विमान भारत ख़रीदेगा और 108 विमान बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में एसेम्बल होने थे. लेकिन यह सौदा हो नहीं पाया.''
वे कहते हैं, ''फिर अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में यह घोषणा की कि हम 126 विमानों के सौदे को रद्द कर रहे हैं और इसके बदले 36 विमान सीधे फ्रांस से ख़रीद रहे हैं और एक भी रफ़ाल विमान बनाएंगे नहीं.''
इस पर राहुल गांधी का कहना है कि 'एक क़ारोबारी' को लाभ पहुंचाने की मंशा से सौदे को बदलने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद पेरिस गए थे.
'रफ़ाल सौदे में ग़ायब है मेक इन इंडिया'
समाचार एजेंसी एएनआई ने राहुल गांधी के हवाले से ख़बर दी है, ''रक्षा मंत्री का कहना है कि हम राफ़ाल विमान खरीदने के लिए भुगतान की गई राशि नहीं बताएंगे, इसका क्या मतलब है? इसका यही मतलब है कि ये एक घोटाला है. सौदे को बदलने के लिए मोदीजी खुद पेरिस गए थे. पूरा देश इस बारे में जानता है.''
समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने जानना चाहा था कि सरकार रफ़ाल सौदे का ब्यौरा क्यों नहीं दे रही, जिसके बारे में कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने जो सौदा किया था, उसकी राशि कम थी जबकि एनडीए सरकार ने उसी सौदे के लिए अधिक राशि का भुगतान किया.
समाचार एजेंसियों के मुताबिक, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन का कहना है, ''रफ़ाल विमान की ख़रीद के लिए भारत और फ्रांस की सरकार के बीच जो समझौता हुआ है, उसके आर्टिकल 10 के मुताबिक सौदे की जानकारी गोपनीय रखी जाएगी.''
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने इस पूरे घटनाक्रम पर एक ट्वीट के ज़रिए कहा है कि सरकार इस 'गोपनीय क्लॉज़' से अपने लिए और भारतीय वायुसेना के लिए गढ्ढा खोद रही है. किसी और सरकार ने ऐसा कहा होता और बीजेपी विपक्ष में होती तो सोचिए क्या होता.
शेखर गुप्ता के इस ट्वीट के जबाव में किए गए ट्वीट में कहा गया है कि बीजेपी यदि विपक्ष में होती तो संसद का पूरा सत्र इस मामले की भेंट चढ़ जाता...शायद इसीलिए कहा जाता है कि कांग्रेस के लिए सत्ता और बीजेपी के लिए विपक्ष की भूमिका बेहतर है.फ़ाल विमानों की ख़रीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच पिछले साल सितंबर में समझौता हुआ था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ दोनों के बीच ये समझौता 36 जंगी विमानों के लिए हुआ है. पहले 18 विमानों का सौदा हुआ था लेकिन अब भारत फ्रांस से 36 विमान खरीद रहा है.
जब लड़ाकू विमानों की ख़रीदारी के लिए टेंडर निकाला गया था, तब मुक़ाबले में कुल छह कंपनियों के विमान थे. पर एयरफोर्स ने रफ़ाल को सबसे बेहतर पाया.
विमान की ख़रीद की प्रक्रिया यूपीए सरकार ने साल 2010 में शुरू की थी. साल 2012 से लेकर साल 2015 तक इसे लेकर बातचीत चलती रही.
रक्षा मामलों के जानकार राहुल बेदी का कहना है, ''जब 126 विमानों की बात चल रही थी, उस वक़्त ये सौदा हुआ था कि 18 विमान भारत ख़रीदेगा और 108 विमान बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में एसेम्बल होने थे. लेकिन यह सौदा हो नहीं पाया.''
वे कहते हैं, ''फिर अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में यह घोषणा की कि हम 126 विमानों के सौदे को रद्द कर रहे हैं और इसके बदले 36 विमान सीधे फ्रांस से ख़रीद रहे हैं और एक भी रफ़ाल विमान बनाएंगे नहीं.''
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