भवती महिलाओं को इससे बचने के लिए अप नी डाइट को नियंत्रण में रखकर शुगर लेवल को नियंत्रित रखना चाहिए. इसके साथ ही इंसुलिन के प्रयोग से इसे टाइप 2 डायबिटीज़ में बदलने से रो का जा सकता है. कु छ लोग प्री-डायबिटीज़ से भी पीड़ि त हो सकते हैं, खून में ग्लूकोज़ की अधिक मात्रा आगे चलकर डायबिटीज़ में बदल सकती है. प्यास ज़्यादा लगना सामान्य से ज़्यादा पेशाब होना, विशेषकर रात में थकान महसूस होना बिना प्रयास किए वज़न गिरना मुंह में अक्सर छाले होना आंखों की रोशनी कम होना घाव भरने में समय लगना ब्रिटिश नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक़, टाइप 1 डायबिटीज़ के लक्षण काफ़ी कम उम्र में ही दिखना शुरू हो जाते हैं. वहीं, टाइप 2 डायबिटीज़ अधेड़ उम् र के लोगों (दक्षिण एशियाई लोगों के लिए 25 वर्ष की आयु) परिवार के किसी सदस्य के डायबिटीज़ से पीड़ित होने पर औ र दक्षिण एशियाई देशों, चीन, एफ्रो-कैरिबियन, अफ्रीका से आने वाले अश्वेतों को ये बीमारी होने का ख़त रा ज़्यादा होता है. डायबिटीज़ आ नुवांशिक और पर्यावरणीय कार कों पर आधारित होती है. लेकिन आप अपने खून में ग्लूकोज़ की मात्रा को नियंत्रित करके खुद